द गर्ल इन रूम 105–६९
राजस्थान के सीएम अगले हफ्ते अलवर आ रहे हैं। मैंने उन्हें अपने घर बुलाया है, पापा ने कहा। उन्होंने अपने मोज़े निकाले और जूतों के भीतर खोंस दिए। वे शाम आठ बजे घर आए थे। जारा मेहमानों के कमरे में थी और डिनर से पहले शॉवर ले रही थी। मां पूजाघर में शाम की आरती कर रही थीं। मुझे ऐसा लगा कि आज वे अपने भजन कुछ ज्यादा ही जोर से गा रही थीं, शायद जारा के सामने अपनी पहचान को स्पष्ट करने के लिए।
मैं और पापा बैठक में थे। मैं उम्मीद कर रहा था कि वे मेरी मेहमान के बारे में मुझसे कुछ पूछेंगे, लेकिन उनके दिमाग में केवल एक ही चीज़ थी। होगा।' *क्या तुम अगले हफ्ते यहां रह सकते हो? आखिरकार सीएम आ रहे हैं। उनसे मिलना तुम्हारे लिए अच्छा
"पापा, मुझे दिल्ली में काम है।" "क्या काम ? तुम कोई रियल जॉब तो नहीं कर रहे हो।'
मैं उन्हें बताना चाहता था कि मेरा बॉस रियल जॉब्ा में पाए जाने वाले बॉसेस से दस गुना बदतर था। "मेरी क्लासेस हैं, पापा। स्टूडेंट्स मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे।'
"राजस्थान के सीएम तुम्हारे घर पर आ रहे हैं और तुम्हें अपनी ट्यूशन की पड़ी है?"
'मेरा काम तो वही है।'
"तुम किसी कंपनी में कोई प्रॉपर जॉब करने की कोशिश कर रहे हो? 'हां, पापा यह जॉब तो मैंने अभी ऐसे ही कर ली है।"
" काश तुमने कॉलेज में ठीक से पढ़ाई की होती। मेरे लिए अपने दोस्तों को यह समझाना बहुत मुश्किल हो
जाता है कि आईआईटी करने के बावजूद मेरे बेटे को प्रॉपर प्लेसमेंट क्यों नहीं मिला।'
मैंने नजरें झुका लीं। हम इस पर इससे पहले भी कई बार बात कर चुके थे।
"एक अग्रसेन जी हैं। वे राजस्थान में प्रांत प्रचारक हैं। उनकी एक मार्बल फ़ैक्टरी है। वे तुमको जॉब दे सकते 'मैं राजस्थान की किसी फैमिली ओन्ड मार्बल फैक्टरी में काम नहीं करना चाहता, पापा।'
"क्यों? कम से कम तब तुम रियल इंजीनियर होगे। एक ट्यूटर होने से तो यह बेहतर ही है।" मैं किसी मल्टीनेशनल में काम करना चाहता हूं। या देश की किसी टॉप कंपनी में नहीं तो फिर फर्क ही क्या है?" कोशिश करूंगा।'
उन्होंने निराशा से अपना सिर हिलाया ।
मैंने कहा, 'सीएम के आने का समय बता दीजिए। मैं कुछ घंटों के लिए जाने की "ओह, तो अब तुम सीएम से बड़े हो गए? पहले तुम्हें सीएम के आने का टाइम पता चले, उसके बाद तुम
आओगे?'
'मैं बस इतना ही कहना चाह रहा था कि पूरे हफ्ते के लिए आने के बजाय...!
तभी ज़ारा ने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला। पापा ने यह आवाज़ सुनी। 'ऊपर कोई है?"
"हां, पापा। मैंने आपको बताया था कि मैं इस वीकेंड एक दोस्त के साथ आ रहा हूँ।"
"तुमने बताया था तो वो यहीं पर है?" "हां, केवल वीकेंड में अलवर देखने के लिए।'
ज़ारा अपने रूम से बाहर निकली और नीचे उतरकर बैठक में चली आई। उसने पीले रंग की सादा सलवार
कमीज़ पहनी थी। गीले बालों में वो और खूबसूरत लग रही थी। पापा ने उसे देखा तो हैरान रह गए। मेरे कानों में
फुसफुसाते हुए बोले, 'यह है दोस्त?"
"हां वह आईआईटी में पीएचडी कर रही है।' 'लेकिन...' इससे पहले कि पापा कुछ कह पाते, ज़ारा हमारे पास पहुंच चुकी थी ।
'नमस्ते, अंकल, जारा ने कहा। पापा उठ खड़े हुए। उन्होंने भी हाथ जोड़ दिए। जारा ने मेरी बात मानकर पूरी आस्तीन की कमीज पहनी थी, जिससे उसकी गर्दन और कलाइयां ढंक गई.
थीं। मैंने उसे साफ़ हिदायत दी थी कि उसका शरीर बिलकुल भी नहीं दिखना चाहिए। उसने कहा था कि ऐसा
लग रहा है, तुम्हारे पैरेंट्स तालिवान हैं। वो मेरी बात समझी नहीं थी। हमारे पेरेंट्स को हमारी चॉईस को रिजेक्ट करने के लिए केवल एक छोटा-सा बहाना चाहिए होता है, और अगर आपने कपड़े ठीक से नहीं पहने हैं